शैमरॉक स्कूल के प्रांगण में सिमटा नजर आया लघु भारत, 28 राज्यों की वेशभूषा में नजर आए विद्यार्थी
शैमरॉक स्कूल के प्रांगण में सिमटा नजर आया लघु भारत, 28 राज्यों की वेशभूषा में नजर आए विद्यार्थी
विद्यालय प्रांगण में आयोजित भव्य कार्यक्रम में किया शहीदों को नमन
सभी राज्यों के प्रसिद्ध खाने-पीने की वस्तुएं भी बनाकर लाए थे विद्यार्थी
खेल-खेल में दिया देश के भौगोलिक क्षेत्र का ज्ञान
कैथल।(राजकुमार अग्रवाल ) शनिवार को शैमरॉक पब्लिक स्कूल में अलग ही नजारा था। बच्चे 28 राज्यों की वेषभूषा में सज-धजकर स्कूल में पहुंचे और सभी प्रदेशों के खाद्य पदार्थों को जाना और उनका सवाद चखा। मौका था स्कूल में गणतंत्र दिवस समारोह के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का। जिसमें विद्यालय के हर कक्षा के विद्यार्थियों ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया। विद्यालय प्रिंसिपल नीलम मौदगिल की अगुवाई में अध्यापक-अध्यापिकाओं द्वारा कड़ी मेहनत से दस दिन की तैयारी में बच्चों को इस आयोजन के लिए तैयार किया। जिसकी झलक शनिवार को देखने को मिली। विद्यालय प्रांगण में हर राज्य की पट्टिका लिए विद्यार्थी उसी राज्य की वेशभूषा और उसी राज्य खाद्य सामग्री के साथ एक विशाल ग्रुप में बैठे नजर आए।
जहां सभी बच्चों ने उस राज्य की जनसंख्या, उसके सीएम, भाषा, लोक नृत्य, नदियों व अन्य प्रकार की जानकारियां अतिथिगणों को दी, जिस राज्य का वे प्रतिनिधित्व कर रहे थे। इसके बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम में संबंधित राज्य का लोकनृत्य भी प्रस्तुत किया। विद्यालय के बच्चों द्वारा देशभक्ति प्रस्तुति के माध्यम से गणतंत्र दिवस पर देश के शहीदों को नमन किया गया। साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों में तामिलनाडू से भारतनाट्यम, यूपी से कत्थक, केरला से कथकली, मणिपुरी से मणिपुरी नृत्य, आंध्र प्रदश्ेा से कुच्चीपुड़ी, ओडि़सा से ओडि़सी नृत्य, पंजाब से भांगड़ा व गिद्दा, गुजराज से गरबा व डांडिया नृत्य, राजस्थान से घूमर डांस, आसाम से बिहू व उत्तरिया, महाराष्ट्र से लावणी, हिमाचल प्रदेश से नाती, कुल्लू डांस, हरियाणा से झूमर धमाल, झारखंड से फग्यू, कर्नाटका से कृष्ण-परिजोथा, मध्य प्रदेश से जावरा मटकी, बिहारसे जाताजतिन, छत्तीसगढ़ से गौर मारिया, उत्तराखंड से उत्तराखंड का स्थानीय नृत्य व मेघालय से के शैड डांस प्रस्तुत किया गया। जिनका बच्चों ने खूब आनंद उठाया। साथ ही विभिन्न राज्यों की खाद्य सामग्रियों में मक्के की रोटी, सरसों का साग, डोकला, डोसा, पोंगल, लित्ती चौखा, धम लड्डू, प्यौाा राकेली, बिरियानी, फिश करी, कुफूली, चाखवी, कंगशाई, जोभ, उपम्म, भूट्टे का कीस, दाल भाटी, बाजरे की रोटी, चूरमा, मूंगदासल का हलवा, चिल्ल, रुगदा, कबाब, पावभाजी जैसे खाद्य पदार्थ बच्चे घर से ही बनाकर लाए। जिनका खूब प्रदर्शन किया गया। प्रिंसिपल नीलम मौदगिल ने बच्चों की प्रस्तुति व उनके बनाए खाद्य पदार्थों की जमकर प्रशंसा की और कहा कि इस आयोजन में जहां गणतंत्र दिवस के बारे में जानकारी मिली है। वहीं पूरे भारत की लोक संस्कृति का बच्चों का प्रेक्टिल ज्ञान हो गया। उन्हें इस बात की जानकारी हो गई कि किस प्रदेश में क्या खाया जाता है, वहां की भाषा क्या है। वहां की वेशभूषा क्या है। जो बच्चों के जीवन भर काम आएगा। साथ ही उन्हें पूरे देश के नकशे को भी समझने में मदद मिलेगी। विद्यालय के अध्यापक-अध्यापिकों ने भी खूब मेहनत की। इसके लिए सभी बधाई के पात्र हैं। उन्होंने बच्चों को गणतंत्र दिवस की महत्ता व इस दिन को मनाए जाने के क्या मायने हैं। इस बारे में भी जानकारी दी और कहा कि प्रेक्टिकल के माध्यम से बच्चों को अधिक अच्छे ढंग से समझाया जा सकता है। इस अवसर पर कुसुम, साक्षी, दीक्षा, रजत, आरती, भावना, अंजू, रीतू, सुमन, अल्का, पूर्वा, ऋषि, सुनील, सुखपाल, प्रिया सहित अन्य स्टॉफ सदस्य भी मौजूद थे।