भारत को इस महीने तबाह कर सकता है कोरोना वायरस, अमरीकन कंपनी ने किया बड़ा खुलासा
भारत को इस महीने तबाह कर सकता है कोरोना वायरस, अमरीकन कंपनी ने किया बड़ा खुलासा
Corona virus can destroy India this month, US company made big disclosure
भारत में सितंबर तक बढ़ सकता है लॉक डाउन -रिपोर्ट
Lock down-report may increase in India by September
भारत को तबाह कर सकता है कोरोना वायरस, बीजीसी
Corona virus can destroy India, BGC
अमेरिका : कोरोना के आतंक से पूरी दुनिया जूझ रही है। स्पेन, इटली, अमेरिका और चीन में सबसे ज्यादा हालत खराब है। भारत में भी कोरोना ने पैर पसारने शुरू कर दिए है। ज्यादा लोग इससे प्रभावित न हो इसलिए देशभर में लॉकडाउनकिया गया है। मगर अमेरिकन कंसल्टिंग फर्म बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की एक नई स्टडी ने देश की चिंता बढ़ा दी है।
अमेरिकन कंसल्टिंग फर्म बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (BCG) की एक नई स्टडी के अनुसार कोरोना वायरस (Coronavirus) के मद्देनजर भारत में लागू किए गए लॉकडाउन को सितंबर के मध्य तक बढ़ाया जा सकता है. मनीकंट्रोल में छपी BCG की रिपोर्ट के हवाले से बताया गया कि भारत जून के चौथे सप्ताह और सितंबर के दूसरे सप्ताह के बीच देशव्यापी लॉकडाउन को हटाना शुरू करेगा.
रिपोर्ट के अनुसार इंडिया में जून के तीसरे हफ्ते में कोरोना का कहर बढ़ सकता है।रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि भारत में जून के तीसरे सप्ताह तक COVID-19 के संक्रमण के मामले बढ़ सकते हैं। बीसीजी ने ये रिपोार्ट कोरोना वायरस महामारी पर रोकथाम के उपायों को ध्यान में रखकर बनाई गई है।
इसमें 25 मार्च तक देश में कोरोना से निपटने की तैयारी, वर्तमान में संक्रमित होने वाले लोगों के आंकड़े और इससे रिकवर होने वाले लोगों की तादाद आदि को ध्यान में रखा गया है।
बीजीसी की ये रिपोर्ट जॉन हॉपकिंस विश्वविद्यालय के डेटा का पूर्वानुमान लगाने वाले मॉडल पर आधारित है। इसके अनुसार अगर भारत में लॉकडाउन की अवधि अभी नहीं बढ़ाई जाती है तो कोरोना संक्रमित मरीजों की तादाद में एकदम से इजाफा हो सकता है।
इससे महामारी पूरे देश में अपना जाल फैला सकता है। इसलिए लॉकडाउन को सितंबर महीने तक बढ़ा देना चाहिए। अगर जून के बाद हालात सामान्य लगते हैं तो इस बारे में विचार किया जा सकता है। मालूम हो कि मोदी सरकार ने कोरोना से निपटने के लिए 22 मार्च को जनता कफ्र्यू का आवाहन किया था। इसके बाद से पूरे देश को लॉकडाउन कर दिया गया।
भारत के 30% जिले कोरोना वायरस महामारी की जद में
दुनियाभर में अपने पैर पसार रहा कोरोना वायरस अब अधिकारियों के लिए SARS-CoV-2 की तरह चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। यह वायरस देश के 30% जिलों में फैल गया है। भारत में अब तक कोरोना के मामले 3200 से ज्यादा हो चुके हैं, वहीं देश में अब तक इससे मौतों का आंकड़ा 60 को पार कर चुका है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि सरकार देश के 720 जिलों में से 211 जिलों में मामलों का पता लगाने में सफल रही है, कुछ बड़े राज्यों में 60% से अधिक जिलों के संक्रमित होने की सूचना है, जबकि कई में 30% से अधिक है।
यह संख्या बढ़ने की संभावना भी जातई जा रही है, क्योंकि मंत्रालय केवल 1,965 सकारात्मक मामलों की जिला-रिपोर्टिंग के लिए जिम्मेदार है, जबकि भारत में कुल संख्या 3,000 से अधिक है।
विशेषज्ञों की मानें तो राज्यों में वायरस के लगातार बढ़ रहे कोरोना के मामलों से उन्हें प्रयासों में बाधा आ सकती है, क्योंकि इसके लिए उन्हें अन्य चुनौतियों केसाथ-साथ परीक्षण किट और चिकित्सा सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ सकता है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हमारा प्रयास यह है कि जिन जिलों में पहले से ही कुछ मामले सामने आ चुके हैं, उन्हें वहां बढ़ने से रोकना है। लॉकडाउन ने एक हद तक इस काम में मदद की है, हालांकि लोगों के शुरुआती रैवेसे से काफी परेशानी हुई।
जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस साइंटिफिक रिसर्च (JNCASR) के प्रोफेसर, IISc के आलोक कुमार और संतोष अंसुमाली के जिले के हिसाब से अनुमान के अनुसार, भारत को अप्रैल के अंत तक मरीजों के इलाज के लिए 16,000 से अधिक श्वसन पंपों (respiratory pumps) और लगभग 5,000 वेंटिलेटर की आवश्यकता हो सकती है।
स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि अभी हमारे पास 6,000 से अधिक वेंटिलेटर हैं और देश भर में 2,000 से अधिक आईसीयू बेड तैयार किए जाएंगे। 100 से अधिक कोविद -19 उपचार सुविधाएं हैं, लेकिन अधिकांश जिला मुख्यालय या बड़े शहरों में हैं। 17 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में, जिनमें 20 से अधिक जिले हैं, उनमें 11 में 20% से अधिक जिले इस माहामारी से प्रभावित हैं।
महामारी के उपायों पर केंद्रित है रिपोर्ट
अमेरिकन कंसल्टेंसी फर्म बीसीजी की रिपोर्ट कोरोना वायरस महामारी पर रोकथाम के उपायों पर केंद्रित है. यह रिपोर्ट 25 मार्च तक के अनुमानों पर तैयार की गई है, जो जॉन हॉपकिंस विश्वविद्यालय के डेटा का पूर्वानुमान लगाने वाली मॉडलिंग पर आधारित है.